Wednesday, November 11, 2009

क्या ख़त्म हुई यादव राजनीति..?


दुश्मन न करे दोस्त ने वो काम किया है, उम्र भर का ग़म हमें इनाम दिया है.......ये गीत उस वक्त का है जब मुलायम सिंह यादव ने राजनीति में अपनी शुरुआत की थी लेकिन उसके लिये इसे गुनगुनाने का मौका आज आया है। एक वक्त पर बेहद करीबी रहे राज बब्बर ने ही मुलायम सिंह यादव की 'घर की इज्जत' को धूल चटा दी। कौन नहीं जानता कि मुलायम ने अपनी बहू डिंपल यादव के चुनाव में इतना ज़ोर लगा रखा था कि उपचुनाव में प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों पर प्रचार का ख़्याल तक नहीं रहा, नतीजा ये कि विधानसभा उपचुनाव में सपा एक भी सीट नहीं जीत पायी। फ़िरोज़ाबाद लोकसभा सीट पर अपनी बहू डिंपल यादव के लिए ससुर मुलायम सिंह ने खुद तो जम कर प्रचार किया ही, अभिनेता संजय दत्त और सह अभिनेता अमर सिंह ने भी एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रखा था। पार्टी की नायिका जयाप्रदा ने भी जनता को मुलायम सिंह और अमर सिंह समझ कर उनपर अपने बुढ़ा चुके हुस्न का जादू चलाना चाहा। मुलायम का बेटा अखिलेश यादव तो बेचारा फ़िरोज़ाबाद में घर जमाई की तरह ड़ेरा डाल कर बैठ गया था। लेकिन कहते हैं न कि जब बुरा वक्त आता है तो ऊंट पर बैठे इंसान को भी कुत्ता काट लेता है। फिर अपने राज बब्बर के तो नाम में ही शेर है। अखिलेश कुछ महीने पहले ही इस सीट से 60 हज़ार वोटों से जीते थे। फिर ऐसा क्या हुआ कि जीत हार में बदल गई और वो भी 80 हज़ार वोटों की हार। कुल मिलाकर देखें तो 6 महीने से भी कम वक्त में 1 लाख 40 हज़ार मतदाता सपा से किनारा कर गये। गिरती लोकप्रियता की इस तेज़ रफ्तार से मुलायम सिंह यादव की राजनीति का भविष्य नज़र आ रहा है। एक वक्त पर मौलाना मुलायम सिंह यादव कहे जाने वाले सपा सुप्रीमो अब मुस्लिम वोटरों में तेज़ी से अपनी पहचान खोते जा रहे हैं। इस बुढ़ापे में जयाप्रदा मोह और कल्याण सिंह से दोस्ती जैसी मधुमेह की बीमारी क्या कम थी, जो राज बब्बर को पार्टी से निकाल कर मुलायम ने अपने लड़खड़ाते पांव में कील ठोक ली। फ़िरोज़ाबाद के करीब 2 लाख मुस्लिम मतदाताओं ने बता दिया है कि मुलायम जिसे अपनी स्थाई राजनैतिक ज़मीन समझ रहे थे वो चलते फिरते लोग हैं। विधानसभा की 11 सीटों पर उपचुनाव था। लेकिन मुलायम सिंह यादव बाकी 10 सीट तो छोडिये अपने गढ़ इटावा को भी नहीं बचा पाए। शायद अब मुलायम को लालू से पूछ लेना चाहिये कि खाली वक्त में वो क्या करते हैं। क्योंकि मुस्लिम वोट के नाम पर चल रही यादव राजनीति पहले बिहार और अब उत्तरप्रदेश से निपट ही गई समझो......