Monday, September 29, 2008

एक शाम दोस्तों के नाम

VISUAL PATH....F/SUN/DEL/SWATI'S MOBILE (एक तस्वीर को छुपाते हुए)

STD .... साढे दस बजे एक मशहूर अफवाह चैनल के कुछ लोग पार्टी के लिये बॉस की नाराज़गी झेलते गुडगांव सहारा मॉल के बेसमेंट में मिले। सोचिये यमुना नदी के बढते जल स्तर पर घंटों नज़र गडाये रखने के बाद कैसा होगा पार्टी का माहौल........

मोंटाज से शुरु करें......(15 सैकेंड के भद्दे शॉट्स)
वीओ-1......मदहोश हसीनाओं के बीच झूमते शराबी दीवाने........ये नज़ारा किसी डांस बार का नहीं बल्कि दोस्तों की एक महफिल का है। जिसमें देर रात कई युवा लडके लडकियां 550 रुपये हाथ में लिये जा पहुंचे गुड़गांव के एक टुच्चे नचेडे स्थान पर।

बाइट....प्रबुद्ध, जूस के नशे में झूमा हुआ नशेडा ( मैं नाचूंगा खूब नाचूंगा .....नहीं रुकूंगा....लेकिन नाचूंगा सिर्फ गौरव की बाहों में. ई....ही....हे....हिच)

वीओ-2....इस मस्ती भरी महफिल में भी एक शख्स सबसे अलग दिखा। शक्लो सूरत में अजीब....मदिरा को सूंघते ही झूमने वाला ये शख्स किसी का दीवाना हो चला था।

बाइट......चश्मदीद (मैंने देखा सब देखा वो चांस पर डांस करने की फिराक में था )

वीओ-3....लास्ट चांस में हुआ ये भौंडा प्रदर्शन नाम के मुताबिक आखिरी मौका कतई नहीं था। ऐसा ही एक और मौका आने वाले शनिवार को तलाशने की कोशिश की जा रही है।

पीटीसी..... (कौन कहता है कि मैं डरता हूं ज़माने से
रोज़ सुबह महबूबा को पुकारता हूं पाखाने से........वाह वाह, वाह वाह.........
कैमरा पर्सन स्वाति और टीका टिप्पणी में सहयोगी मीतू पंत के साथ अनुराग ढांडा)

खबर का असर.......चार लोग बीमार....दो दिल के घायल और कुछ मौके के कायल

स्लग-
झूम चुस्की झूम लट्टू

550 रुपये में ऐश

चांस पर डांस

फिर मिलेगा मौका (चांस पर डांस करने का)

Saturday, September 13, 2008

देर आये दुरुस्त आये......

ज़िन्दगी की भागदौड़ में कब दिल और दिमाग सोचना बंद कर देते हैं ये पता ही नहीं चलता। मकसद अगर आंखों के सामने हो और ऊंचाई पर पहुँचने की ख्वाहिश दिल में... तो फिर ज़िन्दगी मशीनी हो जाती है। अब देखिये न नौ महीने का वक्त गुजर गया लेकिन इस बीच दिल की बात 'अधूरा ' पर लिखने के लिए कुछ लम्हे तक नहीं जुटा पाया। हाँ, एक बात ज़िन्दगी से ज़रूर सीखी है और न जाने कितनी ही बार आजमा भी चुका हूँ कि.....देर आये दुरुस्त आये। इसलिए एक बार फिर से कोशिश कर रहा हूँ शब्दों की कड़ियां नए सिरे से जोड़ने की। या फिर यूँ कहें कि एक अधूरे प्रयास को पूरा करने की एक और कोशिश कर रहा हूँ।

अधूरा में आपका एक बार फिर स्वागत है।