मेरी पहली पुस्तक आपके समक्ष है। 'मरे दर्द को.... इनाम मिला, इंसाफ नहीं' एक बहादुर शिक्षिका के जीवन की, और उसके लिए इंसाफ की लडाई लड़ते उसके परिवार की कहानी है। ये पुस्तक सच्ची घटना पर आधारित है। सुशील कुमारी का अपहरण कर उसकी हत्या महज़ इसलिए कर दी गई क्योंकि उसने राजनैतिक रसूख वाले लोगों के दवाब में आकर बोर्ड परीक्षा में एक छात्रा को नकल करवाने से इनकार कर दिया था। दो दशक की कानूनी लड़ाई के बाद भी सुशील कुमारी के परिवार को इंसाफ नहीं मिला है....हां, उनके दर्द को कुरेदने के लिए सरकार ने दो दशक बाद राज्य के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक को सुशील कुमारी स्मृति पुरस्कार का एलान ज़रुर कर दिया है।
Tuesday, February 5, 2013
मेरे दर्द को....इनाम मिला, इंसाफ नहीं।
मेरी पहली पुस्तक आपके समक्ष है। 'मरे दर्द को.... इनाम मिला, इंसाफ नहीं' एक बहादुर शिक्षिका के जीवन की, और उसके लिए इंसाफ की लडाई लड़ते उसके परिवार की कहानी है। ये पुस्तक सच्ची घटना पर आधारित है। सुशील कुमारी का अपहरण कर उसकी हत्या महज़ इसलिए कर दी गई क्योंकि उसने राजनैतिक रसूख वाले लोगों के दवाब में आकर बोर्ड परीक्षा में एक छात्रा को नकल करवाने से इनकार कर दिया था। दो दशक की कानूनी लड़ाई के बाद भी सुशील कुमारी के परिवार को इंसाफ नहीं मिला है....हां, उनके दर्द को कुरेदने के लिए सरकार ने दो दशक बाद राज्य के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक को सुशील कुमारी स्मृति पुरस्कार का एलान ज़रुर कर दिया है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment