Thursday, September 23, 2010

कॉमनवेल्थ गेम्स विलेज एक धार्मिक साजिश है?



शायद बात आपको थोड़ी अजीब लगे लेकिन साक्ष्य के साथ पेश कर रहा हूं। कॉमनवेल्थ गेम्स विलेज के लिए यमुना के फ्लड प्लेन पर जगह तलाशने और आपत्तियों के बाद भी उसी जगह पर अडे रहने का राज़ अब समझ आने लगा है। दरअसल कोशिश यमुना किनारे खेलगांव बनाने की नहीं बल्कि भव्य अक्षरधाम मंदिर के बराबर एक उतना ही विशाल मुस्लिम ढांचा तैयार करने की थी। यकीन नहीं आ रहा मेरी बात का तो ज़रा तस्वीर को गौर से देख लीजिए। आसमान से गेम्स विलेज कुछ ऐसा ही दिखता है 786 की शक्ल में। 786 क्या है ये शायद आपमें से बहुत लोग जानते ही होंगे लेकिन जिन्हें पूरी तरह से पता नहीं है उनकी जानकारी के लिए बता दूं कि अंकों में लिखा अल्लाह है 786.....अरब मुल्कों में बेहद प्रचलित इस नंबर का मतलब समझने के लिए आप इसे पढ़ सकते हैं

"786" is the total value of the letters of "Bismillah al-Rahman al-Rahim". In Arabic there are two methods of arranging letters. One method is the most common method known as the alphabetical method. Here we begin with Alif, ba, ta, tha etc. The other method is known as the Abjad method or ordinal method. In this method each letter has an arithmetic value assigned to it from one to one thousand. The letters are arranged in the following order: Abjad, Hawwaz, Hutti, Kalaman, Sa'fas, Qarshat, Sakhaz, Zazagh.

इसे आप महज़ इत्तेफ़ाक भी कह सकते हैं कि दुबई की एक कंपनी ने इस खेलगांव को तैयार किया है, इसका बिल्डिंग डिज़ाइन तैयार करने वाला भी एक मुस्लिम ही है और जिस जगह ये खेलगांव बना उसके बगल में ही भव्य अक्षरधाम मंदिर है। इस सब को अगर छोड़ भी दिया जाए तो ये बात गले नहीं उतरती कि अनजाने में ही खेलगांव का डिज़ाइन 786 की शक्ल का बन गया हो। क्योंकि खेलगांव का ऐसा बिल्डिंग डिज़ाइन जगह के बेहतर और ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल के भवन निर्माण सिद्धांत का भी साथ नहीं देता। इतनी बड़ी योजना बनाते वक्त आर्किटेक्ट ख़ासतौर पर ऐसा डिज़ाइन तैयार करते हैं जिसमें ज्यादा से ज्यादा ज़मीन का इस्तेमाल हो सके लेकिन खेलगांव का डिज़ाइन देखने से 7 की शक्ल में बनी इमारत में जगह के बेजा इस्तेमाल को साफ़ देखा जा सकता है।
खैर अगर धार्मिक मुद्दे को छोड़ भी दिया जाए तो खेलगांव कॉमनवेल्थ या किसी भी अंतर्राष्ट्रीय आयोजन के नियमों के भी विपरीत है। किसी भी अंतर्राष्ट्रीय आयोजन में किसी धर्म से जुड़े किसी चिह्न या सिंबल का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। खेलगांव बनाने वाली कंपनी इस बात से बखूबी वाकिफ़ है इसलिए जब मैंने ईमेल कर इस विषय पर कंपनी से जानकारी लेनी चाही तो उनके सभी अफ़सरों के हाथ पांव फूल गये। कंपनी के जन सूचना विभाग की इंचार्ज जो पहले मेल करते ही मिनटों में जवाब देने की बात कर रही थी बार बार रिमाइंडर देने पर भी उसका जवाब आना तो दूर उसने हमारा फोन तक रिसीव करना बंद कर दिया। सच क्या है ये तो कंपनी या इस योजना के सूत्रधार ही बता सकते हैं लेकिन ये सब चीज़ें एक शक ज़रुर पैदा करती हैं और कई सवालों को भी जन्म देती हैं। सवाल ये है कि कहीं ये अक्षरधाम की चमक को फ़ीका करने की कोशिश तो नहीं? कहीं ये बीजेपी कार्यकाल में बने अक्षरधाम मंदिर का खेलगांव के रुप में कांग्रेस कार्यकाल में दिया गया जवाब तो नहीं? सवाल ये भी है कि अगर ये एक धार्मिक साजिश है तो सरकार में बैठे कौन लोग इस साजिश का हिस्सा हैं?

14 comments:

Tausif Hindustani said...

apke liye bata doo
ye arab me nahi sirf hindustan aur jo iske aaspas mulk hain unme hi 786 ka istemal hota hai
http://en.wikipedia.org/wiki/786_%28number%29 isko padh lena galatfahmi door hojayegi

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

इस देश में जो भी हो जाये कम है.. बस हिन्दू का नाम लेना गुनाह है.... तौसीफ जी ऊं का इस्तेमाल करेंगे....क्या???

santosh ojha said...

jai shri ram...sazish ek aur...jai shri ram........
santosh ojha

Anurag Dhanda said...

संतोष जी इस लेख का मकसद सिर्फ़ सच से पर्दा उठाने की एक कोशिश है....इसमें श्री राम के उदघोष जैसी कोई बात नहीं थी। भावनाओं पर काबू रखते हुए चर्चा में शामिल हों।

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...

भैया जी बहुत देर से चित्र देख कर कोशिश कर रहे हैं की इसमें 786 दिख जाए पर कुछ साफ़ नहीं हो पा रहा है. कृपया रेखांकन से स्पष्ट करें. यदि ऐसा होता भी है तो ये कोई आश्चर्य की बात नहीं क्योंकि इस देश में वही होता आया है जिसमें मुस्लिम भावनाओं को प्रोत्साहन मिलता हो. हिन्दुओं को तो अभी अपने राम के जन्म स्थान को प्रमाणित करना है.
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड

vivekdhankhar said...

this can happan only during cong. raj, true sacular party. pata nahi dhram ke naam per kab tak is desh ko lutta jayega

रंजन said...

क्या महान काम किया है.. आपको विशेष पुरूस्कार मिलना चाहिए..

वैसे ऐसे बिखरे बिखरे ७८६ देख कर कौन खुश होगा...

Phantom said...

मैं धार्मिक भावनाओं का लेकर भावुक नहीं होता. अगर किस्सी ने गलत किया है तो उनकी राह पर चले का प्रयत्न नहीं करता. ऐसा ही मैंने आपके लेख में देखा है. अच्छा और संतुलित लेख लिखा है. मुझे आपका गैर पक्षेपाती लेख अच्छा लगा.

keep up the good work.

Anonymous said...

Dr Sengar sahab,
Yehe urdu ka 786 he ne ki english oor hindi ka.Ye nishan aapko har jagah three wheelar,motercycle oor scooter aadi ke uper aapko bahut dekhne ko mil jayga.

Anonymous said...

Anurag Bhai,

This is cheap attempt of yours. Dont try to pick short cut to be popular. Improve your skills and you will get what you want and deserve for.

This type of third grade articles will not do.

Thanks.

Anonymous said...

Anurag,

Perhaps these are your words only ....

तुम्हारे कंधों में दम नहीं इस देश को चलाने के लिए
या इरादे की कमी है तुझमें कुछ दूर तक जाने के लिए
नौजवानों का ख़ून है क्या यूं ही बंट जाने के लिए
मैं हूं हिन्दू....मैं मुसलमान...मैं बिहारी...मैं मराठी

क्या यही गीत बचे हैं हम सब के गाने के लिए

Anurag Dhanda said...

@ anonymous - आपने पहचान नहीं बतायी इसलिए इसी संबोधन से बात करनी पड़ रही है। मैंने ज़िंदगी के किसी शार्टकट में कभी यक़ीन नहीं किया...यहां तक कि कभी किसी लाटरी या लकी ड्रा में भी हिस्सा नहीं लिया महज़ ये सोचकर कि कहीं कभी मेहनत से ज्यादा न मिल जाए। रही बात इस लेख की, तो बता दूं कि पत्रकार हूं और सवाल उठाना मेरा पेशा है। आपको चीप लगा तो इसे आपकी प्रतिक्रिया समझ कर सहेज कर रखूंगा लेकिन अपनी लेखनी से दग़ा नहीं कर सकता। आपकी प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद......

हरदीप लश्करी... said...

Gr888 OBSERVATION.... और रही बात कमेंट्स की.... यहां तो लोग या तो हिन्दू हैं या मुसलमान। सब आपके पोस्ट का अपनी मानसिक सुविधा के हिसाब से मतलब निकालेंगे। पता नहीं ऊपरवाले ( मुझे तो उसके होने पर ही शक है..) को लोगों की इतनी फिक्र है कि नहीं..जितनी इन इंसानों को उसकी है..।

Anurag Dhanda said...

@ हरदीप -
उसके होने पर शक तो हमें भी हमेशा रहा
आइना भी मुझे देखकर बस मुस्कुराता गया....