कई बार इंसान कुछ बेहतरीन हासिल करने के चक्कर में दुनिया को कुछ बेहतरीन दे जाता है। अब इन जनाब को ही ले लीजिये......कैमरे में एक बेहतरीन शॉट कैद करने के चक्कर में ये खुद एक कैमरे में बेशकीमती पल बन कर कैद हो गये। आप ही बताईये मिलेगा कहीं इससे बेहतर पोज़....
Thursday, May 21, 2009
Tuesday, May 12, 2009
शादी से डर लगता है.....
आज घर गया तो मां तलवार लिये खड़ी थी
तलवार मतलब आंसुओं की तलवार
कहा कि अब उम्र हो चली है
तू शादी कर ले....
कैसे कहूं कि शादी से डर लगता है
एक नये ख्वाब की आबादी से डर लगता है
कैसे कहूं कि ज़िंदगी के उस मोड़ से आगे निकल आया हूं
जब किसी लड़की को झूठे दिलासे दे सकता था
अपने सपनों को अधूरा छोड़
किसी की ख्वाबों की दुनिया सजा सकता था
कैसे कहूं कि कायर बन गया हूं
दुनिया की आपाधापी में
किसी पर हक जताने से डर लगता है
कैसे कहूं किसी को अपना बनाने से डर लगता है।
कैसे कहूं कि शादी से डर लगता है
एक नये ख्वाब की आबादी से डर लगता है।
ज़िम्मेदारी बड़ी है, मुझे लगता है
मैं छोटा रह गया हूं
दौलत की इस दुनिया का उसूल नहीं सीखा
एक सिक्का हूं और खोटा रह गया हूं
कैसे कहूं कि ज़ख्मों से भरी इस दुनिया को
नया घाव कैसे दे दूं
अभी तक लड़खडा रहा हूं होश में भी
मदहोशी की दवा को मुकाम कैसे दे दूं?
कैसे कहूं कि मां तेरे आंसू नहीं देखे जाते
मगर तू ही बता तेरे आंसुओं के बदले
किसी और की आंखों में सैलाब कैसे दे दूं
मैं ये हौसला कर भी लूं अगर
तुझे खुशियों का भरोसा कैसे दे दूं
जो आंसू तेरी पलकों पे रुका सा है
उसे बहने का मौका मैं कैसे दे दूं?
कैसे कहूं कि शादी से डर लगता है
एक नये ख्वाब की आबादी से डर लगता है।
कैसे समझाऊं तुम्हें नयी ज़िंदगी मेरी
तुम्हारे पुराने ख्यालों से डर लगता है
मजहब के जिस सवाल पर लड़ रहा है हर कोई
उसे घर की चौखट तक लाने में डर लगता है
कैसे बताऊं तुम्हें कि इस मतलबी दुनिया में
एक नयी दुनिया बसाने से डर लगता है।
कैसे कहूं कि शादी से डर लगता है।
एक नये ख्वाब की आबादी से डर लगता है।
तलवार मतलब आंसुओं की तलवार
कहा कि अब उम्र हो चली है
तू शादी कर ले....
कैसे कहूं कि शादी से डर लगता है
एक नये ख्वाब की आबादी से डर लगता है
कैसे कहूं कि ज़िंदगी के उस मोड़ से आगे निकल आया हूं
जब किसी लड़की को झूठे दिलासे दे सकता था
अपने सपनों को अधूरा छोड़
किसी की ख्वाबों की दुनिया सजा सकता था
कैसे कहूं कि कायर बन गया हूं
दुनिया की आपाधापी में
किसी पर हक जताने से डर लगता है
कैसे कहूं किसी को अपना बनाने से डर लगता है।
कैसे कहूं कि शादी से डर लगता है
एक नये ख्वाब की आबादी से डर लगता है।
ज़िम्मेदारी बड़ी है, मुझे लगता है
मैं छोटा रह गया हूं
दौलत की इस दुनिया का उसूल नहीं सीखा
एक सिक्का हूं और खोटा रह गया हूं
कैसे कहूं कि ज़ख्मों से भरी इस दुनिया को
नया घाव कैसे दे दूं
अभी तक लड़खडा रहा हूं होश में भी
मदहोशी की दवा को मुकाम कैसे दे दूं?
कैसे कहूं कि मां तेरे आंसू नहीं देखे जाते
मगर तू ही बता तेरे आंसुओं के बदले
किसी और की आंखों में सैलाब कैसे दे दूं
मैं ये हौसला कर भी लूं अगर
तुझे खुशियों का भरोसा कैसे दे दूं
जो आंसू तेरी पलकों पे रुका सा है
उसे बहने का मौका मैं कैसे दे दूं?
कैसे कहूं कि शादी से डर लगता है
एक नये ख्वाब की आबादी से डर लगता है।
कैसे समझाऊं तुम्हें नयी ज़िंदगी मेरी
तुम्हारे पुराने ख्यालों से डर लगता है
मजहब के जिस सवाल पर लड़ रहा है हर कोई
उसे घर की चौखट तक लाने में डर लगता है
कैसे बताऊं तुम्हें कि इस मतलबी दुनिया में
एक नयी दुनिया बसाने से डर लगता है।
कैसे कहूं कि शादी से डर लगता है।
एक नये ख्वाब की आबादी से डर लगता है।
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